आइये विस्तार से जानते हैं
मीडिया काले कारोबार का अड्डा बन चुका है। इसकी न तो कोई विश्वसनीयता बची है और न ही कोई हैसियत। यह पैसे और ताकत वाले लोगों से कोई सवाल नहीं पूछता। यह सिर्फ़ आदेशों का पालन करता है। चाहे वो सरकार के लोग हों, व्यापारी हों, फ़िल्म, खेल या किसी भी क्षेत्र के ताकतवर लोग हों। यह विज्ञान की जगह अंधविश्वास फैलाता है। यह वैज्ञानिकों की जगह बाबाओं और मौलवियों को रखता है। यह सबसे नीचे फ़र्जी ख़बरें फैलाता है और फिर उनका फ़ैक्ट चेक करता है। और फिर फ़र्जी ख़बरों के लिए सोशल मीडिया को दोषी ठहराता है और इसे रोकने के लिए कानून की मांग करता है।
ये सारी चीजें हमारे मीडिया और मार्केट रिसर्च में आ गई हैं। मीडिया ने इतना कचरा फैलाया कि हमें मीडिया मैनेजमेंट सिस्टम बनाना पड़ा। जिसमें 90% मीडिया संस्थान ब्लैक लिस्ट में हैं। अगर हमारे सिस्टम से एक भी फर्जी खबर निकलती है तो उसकी जिम्मेदारी हमारी है। यहां पूरा मीडिया दिन भर झूठी और बेकार की खबरें चलाता है। जब बड़े-बड़े नेता मीडिया के सामने झूठ बोलते हैं और मीडिया में हिम्मत नहीं होती कि उन्हें बता सके कि ये झूठ है। तब ऐसे सिस्टम आम लोगों द्वारा बनाए जाते हैं।
अगर आप भारत के हर मीडिया संगठन के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो हमारे रिसर्च प्लेस पर जाएँ। कैसे भारत को उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में बांटा गया, फिर राज्यों में बांटा गया, फिर शहरों में बांटा गया, धर्मों और जातियों में बांटा गया। इनकी बांटने की प्रवृति को वे लोग भी समझते हैं जिनका वे समर्थन करते हैं। उन्हें भी पता है कि मीडिया हमें गुमराह कर रहा है और इसीलिए वे भी सतर्क हो गए हैं।
मीडिया दिनभर भारत को विश्व गुरु बनाता रहता है। लेकिन उसे यह नहीं पता कि बिना विश्वसनीय मीडिया के कोई भी देश शक्तिशाली देश नहीं बन सकता, विश्व गुरु तो बहुत दूर की बात है। जब भी कोई सरकार से सवाल करता है तो मीडिया उसे देशद्रोही बताने लगता है। यह वही मीडिया है जो 14 से पहले किससे और कैसे सवाल करता था, जिससे लोगों और पूरी दुनिया का भारत के मीडिया पर भरोसा बढ़ रहा था। फिर इस देश में ऐसा क्या बदल गया कि मीडिया सरकार का बचाव करने लगा। वह सरकार का उपासक बन गया। क्या भारत में बलात्कार होना बंद हो गए हैं, क्या अपराध कम हो गए हैं, क्या घोटाले होने बंद हो गए हैं, क्या लोगों ने रिश्वतखोरी की आदत छोड़ दी है, क्या सारा काला धन वापस आ गया है, क्या महंगाई कम हुई है, क्या रुपया मजबूत हुआ है। ऐसा क्या हुआ कि मीडिया उपासक बन गया? क्या यह मीडिया 14 से पहले भारत को धोखा दे रहा था, या अब कर रहा है, यह तो मीडिया ही बता सकता है। जब किसी राष्ट्रीय टीवी चैनल या अखबार से यह सवाल पूछा जाता है कि आप सिर्फ सरकार का पक्ष लेते हैं तो वे तुरंत इसका खंडन करते हैं। हम उन सभी को आमंत्रित करते हैं कि वे हमारे मंच पर आएं और अपना विचार रखें, और हम अपने सवाल पूछते हैं। अगर वे 10 में से 1 सवाल का जवाब देते हैं, तो हम उन्हें सही और खुद को गलत मानेंगे और माफ़ी मांगेंगे। और अपने सभी प्लेटफॉर्म से मीडिया के बारे में सारी जानकारी हटा देंगे। सवाल 2010 से 2024 तक के होंगे। उदाहरण के लिए, 2010 से 2014 के बीच महंगाई पर 350 बहसें हुईं, 2014 से 2024 के बीच इन लोगों ने महंगाई पर कितनी बहसें कीं?
यहां इंटरव्यू के लिए एक नियम है और उसी नियम के अनुसार काम होता है। हम किसी का इंटरव्यू लेने के लिए अपने नियम नहीं तोड़ सकते। इस प्लेटफॉर्म पर जो नियम सबसे गरीब व्यक्ति पर लागू होते हैं, वही नियम सबसे अमीर व्यक्ति पर भी लागू होते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी बात रखने के लिए इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकता है। आज किसी भी मशहूर शख्सियत, नेता और जिम्मेदार लोगों का इंटरव्यू लेने की कोई नीति नहीं है। उनकी बात तो छोड़िए, टीवी चैनलों पर फर्जी खबरें चलती हैं। उन मीडिया समूहों की क्या नीति है? उनके दर्शक भी नहीं जानते। वे किसे अपना प्लेटफॉर्म देंगे और किसे नहीं देंगे, इस बारे में कोई नीति नहीं है। वे पैसे देकर लोगों को बहस के लिए बुलाएंगे। और जब किसी को उनकी जरूरत होगी, तो वे पैसे लेकर उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर बैठाएंगे। इंटरव्यू देखकर लगता है कि यह फर्जी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया फर्जी खबरें फैलाते हैं और सरकार डिजिटल मीडिया पर कानून बनाने की बात करती है। यह प्लेटफॉर्म इन सभी तरह की गंदगी से मुक्त है और मुक्त रहेगा। इस प्लेटफॉर्म पर इंटरव्यू लेने के दो ही तरीके हैं। एक तो यह कि लोग खुद इस प्लेटफॉर्म के जरिए आवेदन करें। दूसरा, हमारी टीम ईमेल के जरिए जिम्मेदार लोगों से संपर्क करेगी और उनसे पूछेगी। अगर वो तैयार हैं तो उनका इंटरव्यू लिया जाएगा। लेकिन दोनों ही मामलों में हमारी नीतियां लागू होंगी। वैसे अभी किसी और के पास कोई नीति नहीं है।
जो भी सार्वजनिक जीवन में है, उस पर सबका अधिकार है। लेकिन यहां तो सरकार, विपक्ष, अधिकारी, विभाग, व्यापारी सब बहिष्कार करने में लगे हैं। जो चापलूसी नहीं करता। कोई आपको झूठे केस में नहीं फंसा रहा, कोई बदतमीजी नहीं कर रहा, बस सवाल पूछ रहा है। सवालों से इतनी दिक्कत क्यों?
कोई भी व्यक्ति हमें आसानी से इंटरव्यू नहीं देगा, हम रिसर्च के आधार पर जानते हैं। हर कोई चुनिंदा लोगों को इंटरव्यू देता है। मीडिया के बारे में अधिक जानने के लिए हमारी रिसर्च देखें। अगर आप मीडिया की सभी समस्याओं को जानते हैं, हमारे मीडिया मैनेजमेंट सिस्टम को जानते और समझते हैं, तो हमसे जुड़ें और हमारी मदद करें। अगर आप एक छोटा मीडिया संगठन हैं, तो हमसे ज़रूर जुड़ें।